रॉकफेलर कैसे बने पहले अरबपति?
दुनिया के पहले अरबपति जॉन डी. रॉकफेलर ने एक बार एक इंटरव्यू में सवाल पूछे जाने पर जवाब दिया कि, हां! मैं आज भी दशमांश देता हूं, और मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह सब कैसे शुरू हुआ।
बहुत गरीबी के चलते, मुझे 12 साल की आयु में ही अपनी माँ की मदद करने के लिए मज़दूरी करनी पड़ी। पूरे सप्ताह की मेरी पहली कमाई एक डॉलर पचास सेंट थी। मैंने यह अपनी माँ को ला कर दे दी। मां ने वो एक डॉलर पचास सेंट, अपने हाथों में रखा और मुझे समझाया कि अगर तू इसका दसवां हिस्सा परमेश्वर को देगा तो मुझे बड़ी खुशी होगी।
उसी समय, मैंने मां की बात बड़ी खुशी से स्वीकार कर ली, और उस सप्ताह से लेकर आज तक परमेश्वर ने मुझे जो कुछ भी दिया है, उस एक एक डॉलर का दशमांश देता हूं। मैं कहना चाहता हूं, अगर मैंने पहले एक डॉलर पचास सेंट में से दशमांश नहीं दिया होता तो आज मैं अरबो डॉलर का दशमांश नहीं दे पाता।
हां मेरे प्रिय भाई बहनों, रॉकफेलर ने दशमांश देना बचपन में ही शुरू किया था। आगे चलकर वह अपनी मेहनत व परमेश्वर के साथ वफादारी के कारण, पेट्रोलियम कारोबार के माध्यम से मानव जाति के इतिहास में सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन गए।
भले ही, वह एक गरीब परिवार में पैदा हुए। लेकिन उनकी मां ने उन्हें परमेश्वर के साथ वफादारी करना सिखाया, जो आज भी रॉकफेलर परिवार में समृद्धि ला रही है। 1937 में, सत्तानवे साल की आयु में, रॉकफेलर की मृत्यु के समय उनकी संपत्ति 760 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। यह बिल गेट्स की कुल संपत्ति से 12 गुना ज्यादा है।
हां मेरे प्रिय भाई बहनों, थोड़े में विश्वासयोग्य होना चरित्र की परख है। हमें बहुत ज्यादा देने से पहले, परमेश्वर हमारे चरित्र की परख, यह देखकर करते हैं कि हम थोड़े में कैसा व्यवहार करते हैं।
जैसे परमेश्वर ने रॉकफेलर को पेट्रोलियम कारोबार दिया, वैसे ही वह आप को भी धन के विभिन्न स्रोत देना चाहते हैं। मैं विश्वास करता हूं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के द्वारा, अभी बहुत से खज़ाने खोजे जाने बाकी हैं। निस्संदेह, परमेश्वर दशमांश में विश्वासयोग्य लोगों को ढूंढ रहे है, जिन्हें वह अद्भुत संसाधनो को दे सके।
हां मेरे प्रिय भाई बहनों, वास्तव में, जब बाइबल दशमांश के बारे में बात करती है तो वह इब्रानी शब्द "मासेर" का उपयोग करती है, यानि कुल आमदनी का 10 वां हिस्सा, पुराने नियम में इसका 32 बार प्रयोग किया गया है।
मात्र एक बार ही पूरी बाइबल में ऐसा वचन मिलता है, जहां परमेश्वर कहते हैं कि मुझे परख कर देखो। मेरे साथ पड़ें, मलाकी 3:10
सारे दशमांश भण्डार में ले आओ कि मेरे भवन में भोजनवस्तु रहे; और सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि ऐसा कर के मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोल कर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूं कि नहीं।
हम, नए नियम में लूका 6:38 में पढ़ते हैं कि जब, हम दशमांश और भेंटों में परमेश्वर के वचन के प्रति आज्ञाकारी करते हैं, तो वह हमें अद्भुत आशीषों से तृप्त करते हैं।
दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा॥
यदि हम दशमांश देने में परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं, तो आप देखेंगे कि परमेश्वर स्वर्ग की खिड़कियाँ खोल देते हैं। जैसा कि इस वचन में लिखा गया है, ऐसा इसलिए होता है। क्योंकि आज्ञाकारिता जीवन में चमत्कार करने के लिए काम करती है।
जॉन डी. रॉकफेलर ने परमेश्वर को परख कर देखा, उसने धन को अपना दास बना लिया वह शुरू से जानते थे कि पैसा महत्वपूर्ण है। लेकिन वह यह भी जानते थे कि वह पैसे के मालिक बनना चाहते हैं ना कि पैसे के गुलाम।
हां मेरे प्रिय भाई बहनों, मैं आपको उत्साहित करना चाहता, आयें जीवित वचन की सच्चाई को परख कर देखें। यदि आप परमेश्वर के साथ विश्वासयोग्यता बनाना चाहते हैं तो दशमांश को ईमानदारी के साथ देने के लिए आज ही निर्णय लें। आप देखेंगे कि आने वाले दिनों में परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञायों को निश्चय पूरा करेंगे।
मेरे साथ मिलकर प्रार्थना करें।
प्रिय पिता, धन्यवाद कि सभी चीजें आपके द्वारा बनाई गई हैं और आपके लिए, आप सभी चीजों से पहले हैं, और आप में ही सभी चीजें मौजूद हैं। बाइबल कहती है कि हमें अपने दशमांश और भेंटें आप के भण्डार में लानी चाहिए और आप स्वर्ग की खिड़कियाँ खोलकर और आशीषों पर आशीष भेजकर प्रतिउत्तर दोगे। आगे से, मेरी मेहनत की कमाई medicine व दूसरे गलत कामों पर खर्च ना हो सके।
भविष्य में, मैं आपके सामने अपना दशमांश और भेंट लाया करूँ, आप मेरे इस निर्णय में मेरी सहायता करें। आपकी शांति हमारे जीवन में राज्य करे, आपका प्रेम हमें घेरे रहे, आपकी आत्मा हमें सशक्त करे और हम आपके आनंद में बने रहें। य़ह प्रार्थना हम अपने उधारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के मधुर नाम से मांगते हैं, आमीन आमीन आमीन।
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