खुदगर्ज़ी से हम क्या खो देते हैं?

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खुदगर्ज़ी या स्वार्थ क्या है? इंसान का वह स्वभाव जिस में वह अपना ही लाभ चाहता है। ऐसा स्वभाव रखने वाला इंसान पाने की बजाय हमेशा खो देता है।

यीशू मसीह ने लूका रचित सुसमाचार 10:30 वचन में एक दृष्टांत कहा।

यीशु ने उत्तर दिया; कि एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिए, और मार पीट कर उसे अधमूआ छोड़कर चले गए। लूका 10:30


और ऐसा हुआ; कि उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था: परन्तु उसे देख के कतरा कर चला गया। लूका 10:31

इसी रीति से एक लेवी उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतरा कर चला गया। लूका 10:32

परन्तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया। लूका 10:33

और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां बान्धी, और अपनी सवारी पर चढ़ाकर सराय में ले गया, और उस की सेवा टहल की। लूका 10:34

दूसरे दिन उस ने दो दिनार निकालकर भटियारे को दिए, और कहा; इस की सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा। लूका 10:35

अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा? लूका 10:36

उस ने कहा, वही जिस ने उस पर तरस खाया: यीशु ने उस से कहा, जा, तू भी ऐसा ही कर॥ लूका 10:37

मेरे प्रिय भाई बहनों, आज इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो चाहतें हैं कि कोई उन के दुखों को समझे, ऐसे लोग जो अकेलेपन का सामना कर रहे हैं। तरह-तरह की मुश्किलों में फंसे हुए हैं।

पर्मेश्वर चाहतें हैं कि हम ऐसे लोगों को पहचान कर उनके लिए प्रार्थना करें और उनको जीवित वचन के द्वारा तसल्ली दें और उनकी सहायता करें। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम पर्मेश्वर के न्याय के अधीन हैं।

"हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। गलातियों 6:9"

मैं आपको एक प्रेरणादायक कहानी सुनाना चाहता हूं। इस कहानी ने मेरे दिल को छुया है। मैं इसे आप के साथ भी शेयर करना चहता हूं।

एक किसान के पास कुछ छोटे कुत्ते थे। जिन्हें उसे बेचना था। वह उन छोटे कुत्तों की तस्वीर छपवाकर सड़क किनारे लगा रहा था। तभी किसी ने उसके कुरते को खींचा। किसान ने मुड़ कर देखा वह एक छोटा लड़का था।

लड़के ने कहा, अंकल, मैं आप से एक कुत्ता खरीदना चाहता हूं।

किसान ने कहा, ठीक है। यह कुत्ते अच्छी नस्ल के हैं। इस लिए इनकी कीमती थोड़ी ज्यादा है।

लड़के ने अपनी जेब में हाथ डाला और कुछ कोइन यानि छुट्टे, किसान के सामने रख दिया। क्या यह उनको एक नज़र देखने के लिए काफ़ी हैं?

किसान ने कहा, हाँ क्यूं नहीं जरूर। वह लड़के को डॉग फ़ार्म के भीतर ले गया और मुंह से एक सीटी बजाई।

जैसे ही छोटे पप्पी बाहर आए लड़के ने देखा कि दूसरे कुत्तों के मुकाबले एक कुत्ता लंगड़ा-लंगड़ा कर चल रहा था। उसकी टाँगे बहुत कमज़ोर थी, जो दोड़ने में असमर्थ थी। वह उन सब से पीछे छूट जाता है।

लड़के ने किसान से लंगड़े कुत्ते की ओर इशारा करके कहा। मैं चाहता हूँ कि वह पप्पी मुझे मिल जाए।

किसान ने लड़के की तरफ देखा और कहा, बेटा, तुम उसको क्यूं लेना चाहते हो। वह दूसरे कुत्तों की तरह कभी भी तेरे साथ नहीं खेल पाएगा।

यह सुनकर लड़का पीछे मुड़ा और अपनी आर्टिफिशयल (नकली) टांग दिखाने लगा जो विशेष रूप से बने जूते से जुड़ी हुई थी। वास्तव में वह लड़का खुद भी अपाहज था।

किसान की ओर देखते हुए उसने कहा, देखिए अंकल, मैं खुद भी अच्छी तरह नहीं चल सकता हूं! इसे किसी ऐसे ही व्यक्ति की जरूरत होगी जो इसे समझ सके। जो मैं हूं।

यह सुनकर किसान की आंखों में आंसू आ गए।

मेरे प्रिय भाई बहनों, दुनिया ऐसे लोगों से भरी हुई है। जिन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है, जो उन्हें समझ सके। हमारे आस पास भी ऐसे लोग हो सकते हैं।

यदि हम बाईबल में लिखत 10 आज्ञाओं को ध्यान पूर्वक पड़ते हैं तो क्या यह बात हमें रोमांचित नही करती कि 10 दस आज्ञाओं में से पहली 3 पर्मेश्वर के साथ हमारे संबंधो के बारे में है और बाकी अधिकतर 7 मनुष्यों के साथ संबंधो के बारे है।

बाईबल में संत पौलूस खुदगरज़ी के बारे में एक चितावनी के साथ साथ सलाह भी दे रहे हैं।

हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे। फिलिप्पियों 2:4

मैं आपको एक कोटेशन से उत्साहित करना चाहता हूं।

"जलेबी सिर्फ मीठी ही नही होती बल्कि एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है। खुद कितने भी उलझे रहो दूसरों को हमेशा मिठास ही दो।"

जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। फिलिप्पियों 2:5

यिशू मसीह के स्वभाव से हमें अनजान नही रहना चाहिए। वह जब भीड़ को देखता था तो उसका हृदय तरस से भर जाता था।

जो भी उनके पास आया वह फिर कभी निराश न रहा। वह ना-उम्मीदों की उम्मीद, निर्बलों का बल, त्यागे हुयों का मसीहा है। एक सच्चे मसीही विश्वासी का भी यही स्वभाव होना चाहिए।

अपनी योग्यता के अनुसार सहायता करें। जरूरी नही सिर्फ रुपाये पैसे के द्वारा, बल्कि सहानभूति के शब्दों से, प्रार्थनाओं से और संगति में ऐसे लोगों को उत्साहित करें। जो कुछ भी पर्मेश्वर ने आपको दिया है। उस में से जरूरतमंदो को सहभागी बनाए। ऐसा करने से आप खुद अपनी ज़िंदगी में अशीषत होंगे। क्योंकि बाईबल बताती है कि जो दूसरों को सींचता है पर्मेश्वर उसको प्रतिफल देगा।

"उदार प्राणी हृष्ट पुष्ट हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी।
नीतिवचन 11:25"

यदि हम वचन को पूरा करेंगे। पर्मेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को हमारे जीवन में पूरा करेंगे। परंतु खुदगर्ज़ी, स्वार्थ से हम पर्मेश्वर की महान आशीषों को खो देते हैं। पर्मेश्वर इस संदेश के माध्यम से आपको अशीष दें।

प्रभू यीशू मसीह के सर्वउच्च नाम से आमीन!

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